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शरीर में सामान्य पाचन प्रक्रिया के दौरान हम जो भी भोजन खाते हैं, वह पूरी तरह से पच जाना चाहिए। इसका आधा हिस्सा पोषक तत्वों के रूप में शरीर में अवशोषित हो जाता है और इसके बाकी हिस्सा अपशिष्ट उत्पादों के रूप में शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन कभी-कभी बाहरी नकारात्मक प्रभावों (जैसे अस्वास्थ्यकर आहार, धूम्रपान, शराब, तनाव, पर्यावरण, अस्वास्थ्यकर आदतें) के कारण हम जो भोजन करते हैं वह पूरी तरह से पच नहीं पाता है।
स्वस्थ अवस्था मेंबैलेंस्ड डाइट करने पर (balance diet in hindi /dieting in hindi)शरीर खुदको डेटोक्सीफाई करने में सक्षम होता है और यह एक दैनिक प्रक्रिया के रूप में खुद से ही निष्काषित होता रहता है। पर कभी कभी यह प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होते है। इस परिस्थिति में , हमारे भोजन का लगभग एक तिहाई हिस्सा पूरी तरह से पचता है और पोषक तत्वों के रूप में अवशोषित होता है; बाकि भोजन में से अन्य एक तिहाई हिस्सा को पूरी तरह से पचाया जाता है और अपशिष्ट उत्पादों के रूप में शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।लेकिन अभी भी भोजन कालगभग एक तिहाई हिस्सा बचा हुआ है जो कि आधा पचने की स्थिति में है। इस वजह से, इसे पोषक तत्वों या अपशिष्ट उत्पादों के रूप में पहचाना नहीं जा सकता है।इसलिए इसे न तो अवशोषित किया जाता है और न ही बाहर निकाला जाता है। यह आधा पचा हुआ अनमैटालाइज्ड खाद्य उत्पाद शरीर में विषाक्त पदार्थों के रूप में घूमता है।
आयुर्वेद ने ऐसे विष को "आंव" नाम दिया है। किसी भी बीमारी के पहले चरण को कभी-कभी "आमा" भी कहा जाता है।यह आंव को शरीर से पूर्णतः निष्काषित करने के लिए हमें आयुर्वेद के नियमानुसार शुद्धिकरण (shudhikaran/ detoxify meaning in hindi)की प्रक्रिया का पालन करना चाहिये।
आम तौर पर, यह हर तीन महीने में एक बार किया जाना चाहिए। कुछ लोगों के लिए, वर्ष में एक बार करना भी काफी है। यह आपके शरीर में जमा हुआ आंव की मात्रा पर निर्भर करता है।डीटॉक्स डाइट आहार दो प्रकार के होते हैं। इसमें, पहला आहार आम तौर पर सभी लोगों के लिए फायदेमंद होता है और कोई भी इसका सेवन कर सकता है।
दूसरा आहार - लोगों के शरीर में मौजूद बहिर्जात पदार्थ ("आंव") के मात्रा तथा शरीर के किस हिस्से में इसका प्रभाव ज़्यादा है इसके आधार पर तय किया जाता है। इसके लिए, व्यक्ति के शरीर की प्रकृति (वात, कफ, और पित्त) को भी ध्यान में रखा गया है। यह जानने के लिए कि आंव किस प्रकार बॉडी में जमा होता है और इसकी मात्रा क्या है, एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ यह नाड़ी परिक्षण के साथ साथ अन्य तरीके से पता लगाते है।
शुद्धिकरण के लिए उपचार विधि को पंचकर्म कहा जाता है। इस पद्धति में विभिन्न आहारादि शामिल हैं। इस विधि में आहार से ज़्यादा मल को हटाने पर जोर दिया जाता है।इस विधि के अनुसार जो आहार बताया जाता है वह बहुत सुरक्षित है, कोई भी इसका सेवन कर सकता है।
इसमें पहले तीन दिनों तक कच्चे फल, कच्चे हरी सब्ज़ी, कच्चे फलों का और तरकारी का जूस घर में बनाके पीना चाहिए। वे हल्के और सुपाच्य हैं। तीन दिनों के बाद, फल, सब्जियांऔर उनके जूस के साथ, आप धीरे-धीरे पका हुए आहार का सेवन शुरू कर सकते हैं । इसमें आप सूप, मूंग दाल सूप और दाल का सेवन करते हैं। आप इसके साथ खिचड़ी भी खा सकते हैं। यह 10 दिनों के लिए एक संतुलित आहार तालिका (संतुलित आहार चार्ट/santulitaahar chart in hindi)है जिसे कोई भी अपना सकता है। मधुमेंह के रोगी फलों के बदले सिर्फ सब्जियों के रस का सेवन करें। साथ ही आप अपने आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के परामर्श से कुछ अन्य भोज्य पदार्थ भी ले सकते है।
हर तीन महीने में बाद 10 दिन के लिए डीटॉक्स डाइट का पालन करना चाहिए। हर साल सीजन चेंज होने दौरान यानि एक साल में चार बार हम इसे ले सकते है। ऋतु परिवर्तन के समय हमारे शरीर में कई परिवर्तन होते है। भोजन में भी कुछ बदलाव होता है। इस समय शरीर में आंव जमा होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
डीटॉक्स डाइट के समयकाल समाप्त होने के बाद धीरे-धीरे अपनी पुरानी भोजन शैली में लौट आना आवश्यक है। लेकिन हमें हमेशा संतुलन और स्वस्थ भोजन का सेवन करना चाहिए। असंतुलित भोजन शैली से हमारे शरीर में फिरसे आंव उत्पन्न कर सकती है।
वैदिक जीवन चर्या का पालन, पर्याप्त मात्रा में पानी तथा गरम पानी(detox water meaning in hindi)पीना, योग व व्यायाम का अभ्यास आदि से यह टोक्सिन शरीर से मल व पसीना के रूप में निष्काषित होता रहता है और शुद्धिकरण (shudhikaran / detoxification meaning in hindi)में सहायता करता है।इस आंव को न निकालने से शरीर के सामान्य प्रक्रियाओं में बाधा भी आ सकती है। Ayurvedic Detox Diet के सेवन से न केवल आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और आपके शरीर को बेहतर ढंग से कार्य करने में मदद करता है बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है।यह आहारलीवर के लिए भी फायदेमंद होता है।
पाचन प्रक्रिया और अपच की समस्या से मुक्ति
पूरी और पक्की नींद
पेट साफ़ होने पर साफ़ और उज्वल त्वचा
बाल तथा आँखों के समस्या से भी निदान
पेट फूलना तथा कमर या जोड़ों में दर्द से आराम
शारीरिक ऊर्जा में सुधार
आयुर्वेदिक डीटॉक्स डाइट आंव के लिए सटीक दवा है (ayurvedic diet in hindi)।आयुर्वेद ने दुनिया को पांच तत्वों में विभाजित किया है - वायु (Air), पृथ्वी (Earth), तेजा (Fire), आकाश (Space), और जल (Water) प्रत्येक तत्व के विभिन्न संयोजनों से बनते हैं तीन दोष जो आपके शरीर में विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार हैं। यह तीन दोष वात, कफ और पित्त हैं।उचित स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए, तीन दोषों, साथ ही पांच तत्वों के बीच संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है। यदि असंतुलन मौजूद है, तो बीमारी होने का आशंका हैं।अपने दोष को ध्यान में रखके डीटॉक्सीफाई करने से शुद्धिकरण प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है।
केरला आयुर्वेदा के पहले लेखों में संतुलित आहार के बारे में पाएं अधिक जानकारियां पाएं। हमारे विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित डीटॉक्स डाइट के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमें आज ही संपर्क करे।
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