आयुर्वेद क्या हैं? - महत्व, इतिहास और  फायदे General Health/Immunity
आयुर्वेद क्या हैं? - महत्व, इतिहास और फायदे
MAY 31, 2023

what is ayurvedic dava? and how can it help you boost your immunity

आयुर्वेद क्या हैं?

आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन की दिशा दिखा रहा है। प्राचीन भारत में आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता था। आजकल के तेज जीवनशैली में, हमें अपने शरीर और मन का ध्यान रखने के लिए आयुर्वेदिक तरीकों की आवश्यकता है। इससे हम न केवल रोगों को दूर रख सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं।

आयुर्वेद के मूल सिद्धांत क्या हैं?


आयुर्वेद का मूल सिद्धांत है कि त्रिदोष - वात, पित्त, और कफ, हमारे शरीर के नियंत्रित करते हैं । ये तीनों दोष हमारे शरीर में संतुलन की स्थिति को दर्शाते हैं और इनका संतुलित रहना हमें स्वस्थ रखता है। जब इन दोषों में संतुलन बिगड़ जाता है, तो यह हमारे स्वास्थ्य पर असर डालते  है और बिमारियों का कारण बनते हैं।  

आयुर्वेद में यह माना जाता है कि प्रकृति में पांच तत्व होते हैं - पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि, और आकाश। वात, पित्त, और कफ इन पांच तत्वों  के मिश्रण से बने हैं । वात वायु और आकाश से बना है, पित्त अग्नि और जल से बना है, और कफ  पृथ्वी और जल से बना है। आयुर्वेद में त्रिदोषों को संतुलित रखने के लिए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया गया है। सेहतमंद जीवन जीने के लिए आवश्यक है कि हम अपने आहार, व्यायाम, और ध्यान को संतुलित रखें, ताकि हमारे दोष संतुलित रहें और हम स्वस्थ रहें।

आयुर्वेद का महत्व

आयुर्वेद पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जो हमारी आधुनिक जीवन शैली को सही दिशा देने और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है ।  इसमें जड़ी बूटि सहित अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद, दवा और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं। इनके इस्तेमाल से जीवन सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त बनता है। बीते 75 साल से 'केरल आयुर्वेद' भी आयुर्वेद पर आधारित सामान उप्लब्ध करा लोगों के जीवन को सुगम बनाने का काम कर रहा है।

कंपनी की वेबसाइट भी है, जहां आप ऐसे उत्पाद आसानी से पा सकते हैं, जिन्हें पूर्ण रूप से प्राकृतिक उत्पादों से बनाया जाता है। आयुर्वेद को 1976 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है। यह एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है और त्वचा, बालों, शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक होती है। आयुर्वेद केवल जप, योग, उबटन या तेल की मालिश के लिए नहीं है, इसका अध्ययन और अनुसंधान बहुत व्यापक है। इसमें हर स्वास्थ्य समस्या के मूल कारण को समझकर उसके इलाज पर काम किया जाता है। इसी कारण से आयुर्वेद को भारत के अलावा दुनियाभर में महत्वपूर्ण माना जाता है।

आयुर्वेद का इतिहास

आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कम से कम 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है। इसका नाम संस्कृत के शब्द "अयुर" (जीवन) और "वेद" (ज्ञान) से आया है। यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति पहले ही वेदों और पुराणों में उल्लिखित थी। आजकल आयुर्वेद को योग सहित अन्य पारंपरिक प्रथाओं के साथ एकीकृत किया जाता है। आयुर्वेद की खोज भारत में ही हुई और यहां अधिकांश लोग आयुर्वेद का उपयोग करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1976 में इसे मान्यता भी दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के सेंटर फॉर स्पिरिचुअलिटी एंड हीलिंग के अनुसार पश्चिमी दुनिया में भी आयुर्वेद का उपयोग बढ़ रहा है। लेकिन अब भी आयुर्वेद को वैकल्पिक चिकित्सा माना जाता है ।

आयुर्वेद कैसे काम करता है - क्या है तीन दोष?

आयुर्वेद में त्रिदोष - वात-पित्त-कफ का महत्व और इनका हमारे स्वास्थ्य से संबंध:

आयुर्वेद में यह माना जाता है कि अगर इन तीनों दोषों का संतुलन खराब होता है, तो यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, आयुर्वेदिक उपचार का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि त्रिदोषों का संतुलन बनाए रखा जाए। आयुर्वेद में, शरीर, मन और चेतना संतुलन बनाए रखने में एक साथ काम करते हैं। शरीर, मन और चेतना की असंतुलित अवस्था (vikruti) विकृति कहा जाता है। कुल मिलाकर, इसका उद्देश्य स्वास्थ्य को  बेहतर बनाना है, चाहे आप किसी भी उम्र के हों।

  1. आयुर्वेदिक दर्शन के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों (जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु) से मिलकर बना है। वात, पित्त और कफ इन पांच तत्वों के संयोजन और क्रमपरिवर्तन हैं जो सभी निर्माण में मौजूद पैटर्न के रूप में प्रकट होते हैं।
     
  2. भौतिक शरीर में, वात गति और चाल की सूक्ष्म ऊर्जा है । यह श्वास, हृदय की धड़कन सहित सभी गति विधियों को नियंत्रित करता है। संतुलन में, वात रचनात्मकता और लचीलेपन को बढ़ावा देता है। संतुलन न होने से, वात भय और चिंता पैदा करता है और जोड़ों के दर्द या आर्थराइटिस का कारण बनता है। 
  3. पित्त शरीर की चयापचय प्रणाली के रूप में व्यक्त करता है - आग और पानी से बना है। यह पाचन, अवशोषण, आत्मसात, पोषण, चयापचय और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। संतुलन में, पित्त समझ और बुद्धि को बढ़ावा देता है। संतुलन न होने से, पित्त क्रोध, घृणा और ईर्ष्या पैदा करता है।

    कफ वह ऊर्जा है जो शरीर की संरचना - हड्डियों, मांसपेशियों, टेंडन - का निर्माण करती है और "गोंद" प्रदान करती है जो कोशिकाओं को एक साथ रखती है, जो पृथ्वी और जल से मिलकर बनती है। यह जोड़ों को चिकनाई देता है, त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है, और प्रतिरक्षा को बनाए रखता है। संतुलन में, कफ को प्यार, शांति और क्षमा के रूप में व्यक्त किया जाता है। संतुलन से बाहर, यह लगाव, लालच और ईर्ष्या की ओर जाता है।

आयुर्वेद के स्वास्थ्य लाभ:

    स्वस्थ वजन, त्वचा और बाल का रखरखाव

    सही वज़न, निखरी त्वचा और घने, खूबसूरत बाल - स्वस्थ आहार और आयुर्वेदिक इलाजों के माध्यम से जीवनशैली में संशोधन करके शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। आयुर्वेद खान-पान में सुधार लाकर एक स्वस्थ वजन को मेन्टेन करने में मदद करता है। ऑर्गेनिक और प्राकृतिक तरीकों से आप स्वस्थ त्वचा पा सकते है। सिर्फ यही नही, संतुलित भोजन, टोनिंग व्यायाम और आयुर्वेदिक पूरक / सप्लीमेंट के मदद से न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि मन भी प्रसन्न रहेग।

    • आयुर्वेदिक इलाज आपको तनाव से बचने में मदद करता हैं-

    योग, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मसाज और हर्बल उपचारों का नियमित अभ्यास शरीर को शांत, डिटॉक्सिफाई और कायाकल्प करने में मदद करता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज से हमारे शरीर में सक्रियता बढ़ती है और कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचता है। टेंशन और चिंता को दूर रखने के लिए आयुर्वेद में शिरोधारा, अभ्यंग, शिरोभ्यंग, और पादाभ्यंग जैसे व्यायामों की सलाह दिया जाता है।

    • जलन और सूजन में मदद करें:

    उचित आहार की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन, दिनचर्या, अपर्याप्त नींद, अनियमित नींद पैटर्न और खराब पाचन से इन्फ्लेम्शन हो सकता है। न्यूरोलॉजिकल रोगों, कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याओं, फुफ्फुसीय रोगों, गठिया, और कई अन्य रोगों का मूल कारण इन्फ्लेम्शन  से शुरू होता है। जैसे-जैसे आप अपने दोष के अनुसार खाना शुरू करते हैं, पाचन तंत्र मजबूत होने लगता है। सही समय पर कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन रक्त और पाचन तंत्र में विषाक्त पदार्थों को कम करता है। जिससे जीवन शक्ति और उच्च ऊर्जा प्राप्त होता है और साथ ही साथ मूड स्विंग्स और सुस्ती को कम करने में मदद करता है।

    • शरीर का शुद्धिकरण

    आयुर्वेद में पंचकर्म में एनीमा, रक्तमोक्ष,जैसे पंचकर्म के माध्यम से शारीरिक विषाक्त पदार्थों को शरीर से बहार निकलता है ।

    • कैंसर, निम्न रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल सहित बाकि क्रिटिकल बीमारियों से बचाव

    आयुर्वेदिक उपचार कैंसर की रोकथाम के लिए भी बहुत जाने जाते हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि आयुर्वेदिक आहार और विश्राम तकनीक कैंसर को दूर रखने में मदद करते हैं। 
    आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ी बूटियाँ सही तरीके से रोगों के खिलाफ संरक्षण और उपचार में सहायक होती हैं।
    आयुर्वेद चिकित्सा एक प्राचीन कला है जो पुराने चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देती है। इससे तिब्बती चिकित्सा और पारंपरिक चीनी चिकित्सा भी प्रभावित हुई है। यह चिकित्सा का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण प्रकार है जिसे यूनानी चिकित्सा भी अपनाती थी।
    आहार का अच्छा चयन हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव डालता है और हमें ऊर्जावान और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए, हमें सही आहार का चयन करने का ध्यान रखना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा की शुरूआत ने और भारत में लगातार विदेशी आक्रमण के वजह से इस कला को महत्व नहीं मिला। वर्तमान में, आधुनिक चिकित्सक इस प्राचीन कला के महत्व को समझ रहे हैं और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ आयुर्वेद का संबंध बनाके आयुर्वेद पर अधिक शोध लाने की भी कोशिश के जा रही है। चिकित्सा विज्ञान में इस नई प्रगति के साथ लोगों के विचारधारा और जीवन शैली में भी बहुत तेजी से बदलाव आ रहें है। 

  1.  

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है आयुर्वेद

आयु्र्वेद के जरिए हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ा सकते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ने से ना केवल कोरोना वायरस जैसी महामारी से खुद को बचाया जा सकता है, बल्कि कई अन्य तरह के घातक वायरस से भी बचाव होता है। बेशक हम इस वायरस से खुद को बचाने के लिए हर तरीके अपना रहे हों, लेकिन कई अध्ययनों में पता चला है कि अब ये हवा में भी मौजूद है। ऐसे में अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही हम इससे जीत सकते हैं। इसके लिए कई तरह की जड़ी बूटियां और वनस्पति हमारे काम आएंगी।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां

गिलोय- गिलोय आजकल दवा और जूस के रूप में उपलब्ध है। इसे पानी में उबालकर भी पिया जा सकता है। इसे दैनिक आहार में शामिल कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है।

आमला - आमला इम्युनिटी बढ़ने के लिए प्रसिद्ध है। आंवले की चटनी या रस का भी सेवन किया जा सकता है। यह चयवनप्राश का प्रमुख घटक है। इसमें बड़ी मात्रा में विटामिन सी (C) भी मिलता है।

तुलसी- इसके सेवन से ऊपरी और निचले श्वसनतंत्र की बीमारियां जैसे खांसी, सर्दी या श्वास संबंधित कष्ट को दूर कर सकते हैं। तुलसी के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है। या फिर इसे हर्बल टी के तौर पर पी सकते हैं।

हल्दी- आयुर्वेद में हल्दी को काफी गुणकारी माना जाता है। यह हमारी रसोई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है। इससे सूजन, कर्करोग, अल्जाइमर या ह्रदय रोग में मदद मिलती है। रोज खाने में डालने के अलावा हल्दी का पाउडर दूध में डालकर उसका सेवन किया जा सकता है। या फिर हल्दी की गोलियां भी खा सकते हैं।

काली मिर्च- इसे भी आयुर्वेद में एक अहम स्थान दिया गया है। काली मिर्च को हल्दी से मिलाकर खा सकते हैं। ये सर्दी को जड़ से खत्म करने में काफी गुणकारी है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और आजकल गोलियों के रूप में भी उपलब्ध है।

आयुर्वेद में रोग निदान

आयुर्वेद में, 'ओजस' ,कफ का सकारात्मक सूक्ष्म सार है, जो शरीर को शक्ति, जीवन शक्ति, और  इम्युनिटी प्रदान करता है। अच्छा ओजस स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ावा देता है, जबकि कम ओजस से व्यक्ति बीमारियों का शिकार हो सकता है।

जीवनशैली और आहार शरीर की इम्युनिटी को संतुलित करने में मदद करता हैं। सही पोषण से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निकाला जा सकता है, जो बाहरी खतरों को दूर रखता है। अच्छा पाचन इम्युनिटी  को मजबूत बनाता है। यदि त्रिदोष के भीतर अग्नि की कमी होती है, तो यह इम्युनिटी को प्रभावित करता है और रोगो का कारण बनता है।

आयुर्वेद में इलाज

आयुर्वेद के अनुसार, रोग उत्पन्न होते हैं जब खाने की आदतों और दिनचर्या में परिवर्तन की वजह से ये दोष दृष्टि होती है । आयुर्वेदिक चिकित्सा का मूल सिद्धांत है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए औषधि सेवन, पंचकर्मा और जीवनशैली में बदलाव कर सकते हैं जिससे कि तीनों दोषों का संतुलन बना  रहे।  चिकित्सा कि अवधि और विधि व्यक्ति की प्रकृति या संरचना के आधार पर भिन्न हो सकती है।

आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के बजाय, आयुर्वेदिक उपचार प्रकृति की शक्ति और शरीर के अंतर्निहित गुणों का उपयोग करते हैं। इसके लिए आपको प्रमाणित आयुर्वेद केंद्र में अनुभवी चिकित्सकों और नर्सों की देखरेख में उपचार करवाना होता है। आपके चिकित्सक की सलाह का पालन करना और सही आहार, व्यायाम और आदतों का पालन करना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

आयुर्वेद के अनुसार जीवनशैली सुधार व रोग नियंत्रण

बीमारियों का मुख्य कारण जीवनशैली से जुड़ी है।  खाने पीने आदि का संयम न रखना, तंबाकू का सेवन, व्यायाम की कमी,और शराब का सेवन इनमें से कुछ मुख्य कारण हैं। आयुर्वेद में स्वास्थ्य को बनाए रखने के तीन मुख्य उपाय हैं - आहार, नींद, और विहार।

    आहार (पोषण) - आयुर्वेद भोजन को औषधि मानता है। आपके पाचन शक्ति और शरीर की संरचना को ध्यान में रखते हुए आपको स्वाद के साथ स्वस्थ आहार लेना चाहिए।

    नींद - अच्छी नींद का होना बहुत महत्वपूर्ण है। कम नींद से हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, और मानसिक स्वास्थ्य में समस्याएं हो सकती हैं।

 विहार - दैनिक जीवन में आयुर्वेद मध्यमार्ग का पालन करने का सुझाव देता है। इसमें व्यायाम, योग, और स्वस्थ दिनचर्या शामिल हैं।

आयुर्वेद कितना सुरक्षित है?

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राकृतिक तरीके अपनाता है और इसलिए ये बहुत सुरक्षित होता है। आयुर्वेदिक दवाएं जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग करती हैं जिसका महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके न्यूनतम दुष्प्रभाव होते हैं। यहाँ तक कि आयुर्वेदिक चिकित्सक उन्हें विशेषत: आपके स्वास्थ्य के लिए सही डोज़ में चुनने का प्रयास करते हैं।


About the Reviewer

Dr. Sweta Panda
Dr. Sweta Panda (BAMS, 14 years of experience)

Dr. Sweta is a renowned Doctor who excels in patient-centric Ayurvedic care. She specializes in treating infertility, hair loss, and skin diseases.

Frequently Asked Questions

आहार (पोषण): आयुर्वेद आहार को औषधि मानता है और इसलिए सलाह देता है कि हम स्वास्थ्यप्रद आहार लें। नींद: अच्छी नींद का होना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कम नींद से कई समस्याएं हो सकती हैं। विहार: आयुर्वेद योग, व्यायाम, और स्वस्थ दिनचर्या को सुझाता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राकृतिक तरीके से इलाज करता है और इसलिए यह बहुत ही सुरक्षित होता है। इसमें जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग होता है जिससे न्यूनतम दुष्प्रभाव होते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक विशेषत: सही डोज़ में और स्वास्थ्य के लिए सही उपाय चुनते हैं।

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Abhishek nishad

Feb 20, 2023

Best

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Roshan Dubey

Feb 20, 2023

Nice




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