Cash on Delivery Available. Shop Now!
आयुर्वेद में रुचि रखने वाले लोगों ने अश्वगंधा नाम को जरूर सुना होगा। यह एक प्राचीन जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में किया जाता है। अश्वगंधा को इसकी रोग-रोग प्रतिरोधक क्षमता में लाभ प्राप्त करने के कारण "भारतीय जिनसेंग" भी कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद ने देश और विदेश में अपना नाम कमाया है। प्राचीन जड़ी बूटियों जैसे अश्वगंधा, त्रिफला, ब्राह्मी आदि पर बहुत चर्चा हो रही है।
आयुर्वेद में अश्वगंधा को शक्ति और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। इसे विभिन्न रूपों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि चूर्ण, तेल, या चूर्ण के रूप में। यह शरीर को मजबूती देने में मदद करता है और विभिन्न रोगों के इलाज में भी सहायक होता है। असल में अश्वगंधा ६००० बी सी पुराणी जड़ी बूटी है जिसका प्रयोग अनेक रोगों को ठीक करने में किया जाता आ रहा है, अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक तौर पर अधिक ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है। कई चर्चित आयुर्वेदिक किताबों और पत्रिकाओं में भी उल्लेख है की अश्वगंधा का नियम अनुसार सेवन करने से कोई भी व्यक्ति बीमारियों से मुक्त हो सकता है।
अश्वगंधा के दो प्रकार होते हैं-
इसकी झाड़ियां बड़ी होती हैं और जड़े छोटी होती हैं। यह आम तौर पर घर के बगीचे, खेत और पहाड़ी स्थानों मे पाए जाती है।
इसकी झाड़ियां छोटी होती हैं और जड़े छोटी होती हैं। यह विशेष तौर पर राजिस्थान के नागोरी में अधिक पाई जाती है। वहां का वातावरण भी इसके लिए अनुकूल है।
अश्वगंधा के बारे में बात करने से पहले, हमें इस जड़ी-बूटी का इतिहास जानना आवश्यक है। यह औषधि करीब ६००० बी सी पुरानी है और इसे आयुर्वेदिक उपचार में सबसे महत्वपुर्ण माना जाता है। अश्वगंधा दो शब्दों के मेल से बना है, "अश्व" अर्थात घोड़ा और "गंध" अर्थात सुगंध, यदि आप अश्वगंधा के पौधे को मसल के सूंघेंगे तो आपको घोड़े जैसी गंध आएगी।
यह जड़ीबूटी कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने में कारगर है। आपको यह जानकर दिलचस्पी होगी कि भूगोलिक तौर पर अश्वगंधा के कईनाम हैं, पर फिर भी यह दुनिया में "अश्वगंधा" के नाम से प्रचलित है। अश्वगंधा एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है जिसके सेवन से हर व्यक्ति अपनी ऊर्जा और क्षमता को बढ़ा सकता है।
इसकी झाड़ियां बड़ी होती हैं और जड़े छोटी होती हैं। यह आम तौर पर घर के बगीचे, खेत और पहाड़ी स्थानों मे पाए जाती है।
इसकी झाड़ियां छोटी होती हैं और जड़े छोटी होती हैं। यह विशेष तौर पर राजिस्थान के नागोरी में अधिक पाई जाती है। वहां का वातावरण भी इसके लिए अनुकूल है।
अश्वगंधा के अनेकों लाभ हैं जिनके कारण इस का उचित सेवन शरीर को स्वस्थ बना सकता है। अश्वगंधा में स्थित प्रतियुप्चायक (anti-oxidants) हमारी रोग-विरोधक क्षमता को सशक्त करते हैं। इस के कारण शीत ऋतु के समय उत्पन्न होने वाली स्वास्थ संबंधित समस्यायों (जैसे की ख़ासी, ज़ुकाम) से पार पाने में सहायता मिलती है।
इस के अतिरिक्त, अश्वगंधा का उपयोग करने से वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स की संख्या और स्वास्थ बना रहता है। इससे हमारे शरीर को अनेक गंभीर सेहत संबंधित समस्याओं से आराम मिलता है।
Ashwagandharishta ke fayde in hindi: अश्वगंधा को आयुर्वेद में एडाप्टोजेन (Adaptogen) माना जाता है । एडाप्टोजेन्स आपके शरीर को तनाव, चिंता, थकान और स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
माना जाता है की अश्वगंधा के नियमित सेवन से इसके निम्नलिखित फायदें होते हैं।
अश्वगंधा ऊर्जा बढ़ाने में सहायक है।
अश्वगंधा व्यक्ति के शारीरिक विकास में अत्यंत लाभदायक है। इसके नियमों के अनुसार सेवन से, वजन के बढ़ने के साथ-साथ, शरीर में नई ऊर्जा का संचार भी होता है।
अश्वगंधा न सिर्फ तनाव कम करने में मदद करता है बल्कि मानसिक ऊर्जा में बढ़ौतरी करता है।
यह नींद न आने की बीमारी यानी इंसोम्निया (Insomnia) में भी सहायक है।
कुछ चिकित्सकों ने इसे कैन्सर से लड़ने में भी लाभदायक बताया है ।
यह महिलाओं में श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ (सफ़ेद पानी जाने )की समस्या से भी लड़ने में सहायक होता है ।
१) अश्वगंधा वटी - अश्वगंधा का सबसे प्रचलित और आमतौर पर लेने का तरीका है इसकी गोली। आमतौर पर चिकित्सक इसे दिन में एक या दो बार लेरे की सलाह देते हैं। इसे खाने से पूर्व गरम पानी के साथलिया जाता है।
यह रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित रखने में कारगर है।
यह एंग्जायटी (anxiety) से लड़ने में सहायक है।
इसे नियमित रूप से लिया जाए तो मानसिक ताक़त की बढ़ौतरी होती है।
यह लेने से नींद अच्छी और गहरी आती है।
यह मर्दों में यौन समस्याओं से लड़ने में भी सहायक होता है। एक शोध से यह भी पाया गया है की इसके नीयमित सेवन से मर्दों के शरीरमें टेस्टास्टरोन की मात्रा में १७% तक बढ़ौतरी हो सकती है और स्पर्म काउंट में १६७%(167%) तक बढ़ौतरी हो सकती है।
इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं पाए गए हैं, परन्तु इसके अधिक सेवन से इसके निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं-
मुँह में खुश्की आना।
इससे शरीर में गर्मी बढ़ सकती है।
उल्टियां लग सकती हैं। पेट खराब हो सकता है।
अश्वगंधा का होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाइयों के साथ कोई दुष्प्रभाव नहीं है, परन्तु ज़्यादा जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक की सलाह से ही लें।
२) अश्वगंधा पाउडर (Ashwagandha Powder)/ अश्वगंधा चूर्ण - अश्वगंधा पाउडर या इसे अश्वगंधा चूर्ण भी कहा जा सकता है यहअश्वगंधा के पौधे की पत्तियों और जड़ों को पीस कर बनाया जाता है। यह अश्वगंधा सेवन का एक अन्य प्रचलित तरीका है।
इसे भोजन से पूर्व गुनगुने पानी के साथ लें। १/४ छोटे चम्मच में अश्वगंधा चूर्ण को घी या दूध के साथ मिलकर सुबह उठकर या रात को सोने से पहले खाया जा सकता है।
यह त्वचा के लिए लाभदायक है।
अश्वगंधा वटी की तरह यह भी तनाव दूर करने और मस्तिषक की क्षमता बढ़ाने में कारगर है।
यह शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति में बढ़ौतरी करता है।
इसके अधिक सेवन से पेट खराब हो सकता है।
यह लो ब्लड प्रेशर वाले व्यक्तिओं को नहीं लेना चाहिए।
इससे मुख में खुश्की हो सकती है।
३) अश्वगंधा रसायन - अश्वगंधा रसायन अश्व्गन्धा पाउडर को दूध, घी और तिल के तेल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह रसायन मूल रूप से शरीर की ताक़त बढ़ाने के लिए लिया जाता है।
शारीरिक क्षमता बढ़ाना
स्टेमिना बढ़ाना
प्राण शक्ति को बढ़ाना
यह रसायन गुनगुने पानी के साथ दिन में एक बार भोजन से पूर्व लिया जाता है।
इसे अत्यधिक मात्रा में लेने से यह शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है।
इससे पेट भी खराब हो सकता है।
४) अश्वगंधा तेल - यह तेल अश्वगंधा की जड़ो और पत्तियों को पीस कर गोले या तिल के तेल में मिलाकर बनाया जाता है।
यह शरीर के ऊपर लगाया जाता है इसे खोपड़ी पर भी लगा सकते हैं।
वात असंतुलन को ठीक करना।
किसी भी तरह के मासपेशीयों के दर्द में राहत पोंहचाना।
जोड़ों के दर्द में में राहत पोंहचाना।
अश्वगंधा तेल के अभी तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं।
अश्वगंधा के सभी प्रचलित रूपों पर हम ऊपर बता चुके हैं पर यह वो सब रूप हैं जो दवायी की तरह लिए जाते हैं पर अगर हम इसे अपने रोज़-मर्रा के जीवन में उतारना चाहें तो उसके लिए हमें इसे अपनी जीवनशैली के साथ जोड़ना होगा।
रोज़ के खान पान के साथ इसे जोड़ लेने से यह चमत्कारी जड़ी बूटी बेहद सहज ही आपके जीवन का हिस्सा बन जाएगी और आपकोऔर आपके परिवार को तंदुरुस्त रखने में सहायक होगी।
१) अश्वगन्धादि लेह्यं - यह बाजार में सहज ही उपलब्ध उत्पाद है। इसे लेने के कई फायदे हैं जैसे शारीरिक ऊर्जा बढ़ाना और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना। आमतौर पर लोग बीमार पड़ने पर दवाई तो निःसंकोच खरीद लेते हैं पर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ काम नहीं करते। यह एक ऐसी प्रकार की औषधि है जो बगैर चिकित्सकों की सलाह के भी उपलब्ध है और जिसे नियमित रूप से लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में अच्छी बढ़ौतरी होती है।
अश्वगंधा
सारिवा
जीरा
मधुस्नुही
द्राक्षा
घी
शहद
इलाइची
शक्कर
तिल
अदरक
काले चने
अश्वगंधा लेह्यं को एक चम्मच सुबह और रात को खाना खाने के पश्चात लिया जाता है
अश्वगंधा चाय एक अच्छा नुस्खा है, अश्वगंधा को अपने रोज़ाना जीवन में उतारने का। इससे आपकी चाय भी पौष्टिक होती है।
१/२ कप दूध
१/२ कप पानी
१ चम्मच अश्वगंधा पाउडर
शहद/शक्कर स्वादानुसार
सबसे पहले दूध को एक पतीले में डाल लें और ऊपर से उसके अश्वगंधा पाउडर और पानी मिला लें।
तीनो को एक साथ धीमी आँच पे गरम होने दें।
अपनी इच्छा अनुसार आप इसके अदरक और इलाइची भी डाल सकते हैं और सभी को एक साथ पका लें।
अपने स्वाद अनुसार इसमें शहद या शक्कर मिला लें और आपकी अश्वगंधा चाय का मज़ा लें।
यह आपको तनाव से लड़ने में मदद करेगी और चए के रूप में होने के कारण यह सहज ही आपने जीवन में रोज़ाना लेने की चीज़ के रूपमें जुड़ जाएगी।
जैसा कि हम देखते हैं कई बच्चे चाय से परहेज़ करते हैं, तो उनके लिए इसका एक और स्वादिष्ट और पौष्टिक रूप है अश्वगंधा बनाना smoothie। यह दूध और केले की मदद से बनती है और यह दुबले बच्चों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
१ केला
१ कप दूध
१ चम्मच अश्वगंधा पाउडर
१/२ कप काजू-बादाम या अन्य गिरी
थोड़ा सा शहद या शक्कर
केले, दूध, गिरी, अश्वगंधा पाउडर और अपने मुताबिक़ शहद या शक्कर को एक mixer में डाल लें और कुछ देर चला लें।
आपकी अश्वगंधा बनाना smoothie तैयार।
यह बच्चों को अश्वगंधा देने का एक आकर्षक तरीक़ा है।
इसके अश्वगंधा के सभी गुण और केले का आहार भी है।
इससे वज़न भी बढ़ता है।
अश्वगंधा को लेने का एक स्वादिष्ट और आकर्षक रूप है अश्वगंधा-हल्दी दूध ।
१ चम्मच अश्वगंधा पाउडर
१ चम्मच हल्दी पाउडर
१/२ कप दूध
१ चम्मच गोले का तेल
अश्वगंधा पाउडर, हल्दी पाउडर, दूध को मिला लें और धीमी आँच पर गरम होने दें। जब वह पक जाए तब इसके गोले के तेल को मिलालें।
यह तनाव से लड़ने के लिए अत्यंत लाभकारी है।
इसे मांसपेशियों में दर्द हो तब भी लोग पीते हैं। माना जाता है अगर इसे सोने से पहले पीया जाये तो यह मांसपेशियों को आराम पोहचता है।
यह लोग सोने से पहले इसलिए भी पीते हैं ताकि नींद अच्छी और गहरी आये।
अश्वगंधा और घी खाने के फ़ायदे अनेक हैं। यह एक बेहद पौष्टिक मेल है। घी के साथ अश्वगंधा अत्यंत लाभदायक है।
१-२ चम्मच अश्वगंधा पाउडर
१ चम्मच घी
१ चम्मच शक्कर
१ ग्लास दूध
अश्वगंधा पाउडर को लें और गरम दूध में डाल कर मिक्स करलें।
फिर उसमे ऊपर से घी मिला लें आपका अश्वगंधा घी दूध तैयार।
यह अत्यंत लाभदायक है स्ट्रेस व ऐंज़ाइयटी कम करने में ।
अश्वगंधा का मक्खन भी बनाया जा सकता है ताकि जब भी आप नाश्ते में सैंडविच खाएं तो आपका आहार अश्वगंधा के फायदों से भरपूर रहे।
२ कप बादाम
१ कप घी या मक्खन
१ कप अश्वगंधा पाउडर
२ कप कच्चे बादाम को एक ब्लेंडर में दाल कर धीमी गति पर चलाएं जबतक वह आपके मुताबिक़ पिस न जाएँ।
उसके बाद उसमे मक्खन या घी मिला लें और अंत में अश्वगंधा पाउडर मिला कर उसे चला लें
आप इसे ब्रेड पर लगाकर सैंडविच के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।
यह पेट के लिए भी अच्छा माना जाता है।
यह अश्वगंधा का एक बेहद तवादिष्ट रूप है जो ख़ास तौर पर बच्चों के लिए और चॉकलेट पसंद करने वाले किसी भी इंसान के लिए है
१० सुखाये हुए खजूर जिनके बीच निकले जा चुके हों
२ चम्मच अश्वगंधा पाउडर
१/२ कप चॉकलेट चिप्स
१ चम्मच नारियल तेल
सेंधा नमक
तिल के बीज
एक ब्लेंडर की मदद से अश्वगंधा पाउडर और खजूरों को अच्छे से ब्लेंड कर लें और एक पेस्ट तैयार करलें।
उस पेस्ट की छोटी छोटी गेंद बना लें और अगर गेंद ना बन पाए तो पेस्ट को फ्रिज में रख कर थोड़ा जमा लें।
साथ ही चॉकलेट चिप्स और नारियल तेल को एक पैन में गरम कर लें और चलाते रहें।
अब उन गेंदों को चॉकलेट और नारियल के मिक्स में डूबकर उनपे चॉकलेट की एक परत चढ़ने दें।
टॉपिंग के लिए थोड़ा सा सेंधा नमक और तिल के बीज छिड़क लें और आपकी अश्वगंधा ट्रफल बॉल तैयार।
यह अत्यधिक स्वादिष्ट तरीका है बच्चों को अश्वगंधा देने का , इसमें खजूर होने की वजह से यह सहरीर में ओजस बढ़ाता है और अश्वगंधा के सभी गुणों से भी यह भरपूर है।
अश्व्गन्धा टॉनिक के रूप में भी लिया जा सकता है जिसे आमतौर पर रात को सोने से पहले लिया जाता है। यह टॉनिक बेहद लाभदायक होता है।
१ कप काजू जिन्हे एक रात पहले भिगोया जा चुका हो
२ कप पानी
एक चम्मच मेपल सिरप
१/२ चम्मच वैनिला बीन
१ चम्मच दालचीनी का पाउडर
१/४ चम्मच जायेफ
१/२ चम्मच अश्वगंधा पाउड
एक चुटकी नमक
सबसे पहले काजू और दूध को मिलकर एक ब्लेंडर में चला लें जबतक काजू अच्छे से पिस न जाएँ।
अब काजू और दूध के पेस्ट में मेपल सिरप, वैनिला बीन, दालचीनी पाउडर, जायेफल और अश्वगंधा पाउडर मिला लें और इसे साथ में उबलने दें।
इसमें एक चुटकी नमक भी मिला लें और मिक्स कर लें।
आपका अश्वगंधा काजू टॉनिक तैयार।
यह गहरी नींद और तनाव को दूर करने में सहायक है।
तीव्रता से बदलते समय और संसार में ऊर्जा की कमी का आभास होना सामान्य बात है। शुभसूचना यह है कि ऐसी समस्याओं के समाधान के लिये अश्वगंधारिष्ट एक श्रेष्ठ उपचार है।
चाहे आप दिन प्रतिदिन के तनाव से जूझ रहे हों या ऊर्जा की कमी से ग्रस्त हों, अश्वगंधारिष्टाम एक उचित उपाय है।
उपचार के लिए, प्रतिदिन दो से तीन चम्मच खाने के बाद लें।
Kerala Ayurveda का एक और अश्वगंधा उपचार, अश्वगंधादी लेहम शारीरिक ऊर्जा का एक उत्तम स्रोत है। चाहे आप अपना वज़न बढ़ाने चाहें, या अपने शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को और सशक्त करना चाहें, अश्वगंधादी लेहम के साथ यह सब संभव है।
प्रतिदिन, भोजन ग्रहण करने के बाद एक से दो चम्मच लेहम लें।
आधुनिक विज्ञान की राय
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, अश्वगंधा आयुर्वेद की दुनियां में सबसे प्रचलित जड़ी बूटी है। इसके लिए अधिक शोध नहीं किया गया है, लेकिन उनके माने तो अश्वगंधा तनाव, एंग्जायटी, और मर्दों की यौन समस्याओं से लड़ने में सहायक हो सकता है।